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मैं शायर तो नहीं............
हिन्दी हास्य कवि अलबेला खत्री रचित बहुभाषी शे'र-ओ-शायरी का नया ब्लॉग
Sunday, February 21, 2010
दीवारों से झाँक रहे हैं
लोगों के घर लूट रहे हैं अपने घर लुटवा के लोग
जाने कब ओले पड़ जाएँ बैठे सर घुटवा के लोग
तब भी इनको चैन नहीं था अब भी इनको चैन नहीं
दीवारों से झाँक रहे हैं दीवारें उठवा के लोग ................
www.albelakhatri.
com
1 comment:
Urmi
February 23, 2010 at 2:46 AM
अत्यंत सुन्दर!
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दीवारों से झाँक रहे हैं
गज़ब का जूनून ---गज़ब का जोश - अभिजीत सावंत और अलब...
स्टार वन पर अलबेला खत्री के लाफ़्टर के फटके
सुनहरा मौका अपनी प्रतिभा दिखाने का .........
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अत्यंत सुन्दर!
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