Sunday, January 31, 2010

मेरे तो प्राण बन्द हैं साँसों में आपकी





गुलकन्द
है मकरन्द है साँसों में आपकी

ज़ाफ़रान की सुगन्ध है साँसों में आपकी



दुनिया में तो भरे हैं ज़ख्मो-रंजो-दर्दो-ग़म

आह्लाद और आनन्द है साँसों में आपकी



कितनी है गीतिकाएं,ग़ज़लें और रुबाइयां

कितने ही गीतो-छन्द हैं साँसों में आपकी



कहीं और ठौर ही नहीं है जाऊंगा कहाँ ?

मेरे तो प्राण बन्द हैं साँसों में आपकी



2 comments:

  1. बहुत बढ़िया . शायर मेरा दिल है और शायरी से बना है ...

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  2. aap gazal bhi likhte hai aur badiyan likhte hai.....bahut sunder

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