Sunday, January 31, 2010

मेरे तो प्राण बन्द हैं साँसों में आपकी





गुलकन्द
है मकरन्द है साँसों में आपकी

ज़ाफ़रान की सुगन्ध है साँसों में आपकी



दुनिया में तो भरे हैं ज़ख्मो-रंजो-दर्दो-ग़म

आह्लाद और आनन्द है साँसों में आपकी



कितनी है गीतिकाएं,ग़ज़लें और रुबाइयां

कितने ही गीतो-छन्द हैं साँसों में आपकी



कहीं और ठौर ही नहीं है जाऊंगा कहाँ ?

मेरे तो प्राण बन्द हैं साँसों में आपकी



Friday, January 29, 2010

तेरी जय हो वीर जवान .....




यों तो सारे स्वर मधुर लगते हैं लेकिन

आरती - अज़ान सा कोई नहीं


यों तो हर इक मुल्क की इक शान लेकिन

अपने हिन्दुस्तान सा कोई नहीं


धन्य है यह भूमि जिस पर सूरमे पैदा हुए

गर्व है उन पर जो अपने मुल्क पर शैदा हुए

अमर बलिदानों का अभिनन्दन करें

आओ इस माटी का हम वन्दन करें